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लेखनी कहानी -17-Oct-2022 श्री कृष्ण जन्माष्टमी (भाग 19)



        शीर्षक :- श्री कृष्णजन्माषटमी

         श्री कृष्णजन्माष्टमी का त्योहार  पूरे भारत मे श्रद्धा से मनाया जाता है यह त्योहार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है  अष्टमी की रात को बारह बजे मथुरा की जेल में उनका जन्म हुआ था।  इस दिन लोग पूरे दिन उपवास रखते है और रात को बारह बजे चन्द्रमा को अर्घ देकर पूजा करते है भजन कीर्तन किया जाता है इस दिन मन्दिरौ को सजाकर झांकी निकाली जाती । इस पर्व को रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।


               भगवान श्रीकृष्ण वासुदेव और देवकी के 8वें पुत्र थे। मथुरा में एक राजा हुआ करता था जिसका नाम कंस था। राजा कंस एक बहुत अत्याचारी इंसान था। उसके अत्याचार से हर कोई परेशान रहता था और वह दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे था। 

                तभी भगवान ने धरती लोक पर भाद्रपद कृष्ण अष्टमी की मध्यरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में देवकी व वासुदेव के पुत्र रुप में हुआ था मथुरा के कारागार में लिया। उनके जन्म के समय में घनघोर वर्षा हो रही थी, चारों तरफ घना अंधकार छाया हुआ था। श्री कृष्ण के जन्म होते ही वासुदेव की बेड़िया खुल गईं, कारागार के द्वार स्वयं खुल गये और सभी पहरेदार गहरी निद्रा में सो गये। 

           भगवान की  सहायता से उनके पिता वासुदेव उफनती हुई नदी पार करके अपने मित्र नंद के यहां ले गये। जहां उनका लालन-पालन हुआ और वो बड़े हुए। इसके बाद उन्होंने कंस वध करते हुए, मथुरा के लोगो को कंस के अत्याचार से मुक्त कराया। तब से हर साल कृष्ण जन्माष्टमी बड़े ही प्रेम धुन में मनाया जाता 

                     भारत के साथ कई अन्य देशों में भी जन्माष्टमी का पर्व काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। यह दिन श्री कृष्ण भगवान के भक्तों के लिए काफी खास होता है। पूरे भारत में इस दिन को लेकर उत्साह चरम पर होता है और लोग इस पर्व को लेकर काफी उत्साहित रहते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने पृथ्वी को सभी पापियों से मुक्त करने के लिए भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी को योगेश्वर श्रीकृष्ण के रुप में जन्म लिया था। यह दिन सभी भक्तगण के लिए नया साल से कम नहीं होता है। 

                अपने पृथ्वी अवतार में उन्होंने पृथ्वी पर से दुराचारियों और अधर्मियों का नाश करने का कार्य किया। 
 
               महाभारत में उन्होंने गीता के रुप में मानवता को सच्चाई और धर्म का संदेश दिया। यही कारण है कि इस दिन को उनके जन्म दिवस के रुप में भारत सहित अन्य कई देशों में भी इतने धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।

                    जन्माष्टमी के पर्व को विभिन्न संप्रदायों के लोगों द्वारा अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। देशभर में जन्माष्टमी का पावन त्योहार अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। देश के कुछ राज्यों में इस दिन दही हांडी के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। दही हांड़ी के दिन सड़कों पर अनगिनत भीड़ देखने को मिलते है। हर महौल्ले, सोसाइटी में दही हांड़ी का आयोजन करते है और हांड़ी फोड़ने वाले टीम को इनाम दिया जाता है। कई जगह दही-हांड़ी के साथ-साथ रगों की होली खेली जाती है।


                       जन्माष्टमी का सबसे भव्य आयोजन मथुरा में देखने को मिलता है। इसके साथ ही इस दिन मंदिरों विभिन्न प्रकार की झांकिया सजाई जाती है, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का नाटक मंचन किया जाता है तथा उनके रासलीलाओं का भी आयोजन किया जाता है। कई जगहों पर लोगो इस दिन मध्यरात्रि तक जागते रहते हैं और लोगो द्वारा श्री कृष्ण की मूर्ति बनाकर उसे पालने में झुलाते हुए 


                      इस दिन रात भर भजन गाया जाता और नाच किया जाता है। इस शुभ अवसर में देश-विदेश के श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण का दर्शन करने के लिए मथुरा श्री कृष्ण जन्मस्थली पहुंचते है। इसके साथ ही भारत में और भी कई स्थानों पर भव्य रुप से कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।


     इस तरह श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को ही जन्माष्टमी  के न

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8 Comments

Gunjan Kamal

16-Nov-2022 08:16 AM

Nice 👍🏼

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Palak chopra

06-Nov-2022 01:07 AM

Shandar 🌸🙏

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